रेगिस्तान में
रेत की चादर की तरह
मेरी ज़िंदगी भटकती रही
कभी यहाँ, कभी वहाँ
मैं ढूँढता रहा अपना ठिकाना
हवा बहा ले गई
जब चाहा जिधर चाहा
मेरा अपना ठिकाना
कुछ भी नहीं
मगर मालूम है मुझे
हर चीज़ का
अपना वज़ूद होता है
फिर चाहे नागफनी हो,
या हो नीम !
कोहिनूर हो,
या हो रेत !
बिना वजह
कुछ भी नहीं होता
गरीब न होते
अमीर को कौन पहचानता ?
प्यास न होती
पानी का महत्व कौन जानता ?
प्यार न होता
दिल की धड़कनें कौन सुनता ?
तुम न होते
प्यार क्या है, मैं कैसे जानता ?
बिना वजह
कुछ भी नहीं होता
कुछ होता है
क्योंकि
वजह होती है ।