Saturday, 30 March 2013

होली (हाईकु)


हंसी ठिठोली
सबको मुबार‍क 
रंगों की होली ।

 बढ़ता मेल 
कोई गोरा न काला 
समझो न खेल ।

सावन बीता
तुम न आये प्रिये 
फागुन आया ।

होली का जोश
मन हुआ मयूर 
खोना न होश ।

होली का रंग
एक से मिले एक 
राजा न रंक ।

भीगी चुनर 
गोरी खड़ी लजाये 
झुकी नज़र ।

बुरा न मानो
होली की हुड़दंग 
अपना जानो ।

रंगों से सजे 
मस्ती में सराबोर
बच्चे क्या बूढ़े ।
 

2 comments:

  1. मस्त हाइकू होली के ... रंगों की बौछार नज़र आ रही है ...

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    1. शुक्रिया अदरणीय दिगंबर जी ...

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