हंसी ठिठोली
सबको मुबारक
रंगों की होली ।
बढ़ता मेल
कोई गोरा न काला
समझो न खेल ।
सावन बीता
तुम न आये प्रिये
फागुन आया ।
होली का जोश
मन हुआ मयूर
खोना न होश ।
होली का रंग
एक से मिले एक
राजा न रंक ।
भीगी चुनर
गोरी खड़ी लजाये
झुकी नज़र ।
बुरा न मानो
होली की हुड़दंग
अपना जानो ।
रंगों से सजे
मस्ती में सराबोर
बच्चे क्या बूढ़े ।
मस्त हाइकू होली के ... रंगों की बौछार नज़र आ रही है ...
ReplyDeleteशुक्रिया अदरणीय दिगंबर जी ...
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