पिता ने जब सुना
शहर की पढ़ाई के बारे में
रख दिया गिरवी
पुश्तैनी खेत
और भेज दिया
शहर के बड़े हॉस्टल
अपने बेटे को
जब पढ़ानी थी, इंजीनियरिंग
पिता ने बेच दिया
गाँव का पुश्तैनी मकान
फिर जब
नौकरी नहीं मिली
और खड़ा करना चाहा
बेटे ने खुद का व्यवसाय
पिता ने बेच डाला
बचा-खुचा भी
ये सोच कर
एक दिन बेटा नाम करेगा ।
व्यवसाय चल पड़ा तो शादी भी कर दी
बड़ा नाम है, इंजीनियर साहब का
शहर के बड़े ठेकेदार भी हैं
पिता के साथ-साथ
रोशन कर रहे हैं
गाँव का नाम भी
अरे!! बड़े फरमाबरदार हैं
इंजीनियर साहब
अपने व्यस्त शिड्यूल से
हर माह
वक्त निकाल लेते हैं
वृद्ध आश्रम में
माँ-बाप से मिलने
सपरिवार ज़रूर जाते हैं।
हो जग का कल्याण, पूर्ण हो जन-गण आसा |
ReplyDeleteहों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा ||
शुभकामनायें आदरणीय
रविकर जी नए वर्ष की शुभकामनायें ।
Delete