(तरही गज़ल) दिलों के खेल में खुद्दारियाँ नहीं चलतीं
अजब चलन है के अब यारियाँ नहीं चलतीं
नफा न हो तो, वफादारियाँ नहीं चलतीं
नफा न हो तो, वफादारियाँ नहीं चलतीं
नये ज़माने की अय्यारियाँ नहीं
चलतीं
हसद की बुग्ज़ की, बीमारियाँ नहीं चलतीं
हसद की बुग्ज़ की, बीमारियाँ नहीं चलतीं
बिला वजह की तरफदारियाँ नहीं
चलतीं
अमल अगर न हो, तैय्यारियाँ नहीं चलतीं
अमल अगर न हो, तैय्यारियाँ नहीं चलतीं
निकल पड़े हैं सफर में ये हौसला लेकर
कि हौंसला हो तो, दुश्वारियाँ नहीं चलतीं
कि हौंसला हो तो, दुश्वारियाँ नहीं चलतीं
मज़ा कुछ और है दिल प्यार में
लुटाने का
दिलों के खेल में खुद्दारियाँ नहीं चलतीं
दिलों के खेल में खुद्दारियाँ नहीं चलतीं
तुम्हें तलाश है जिसकी ख़ुदा अता
कर दे
किसी का छीन के सरदारियाँ नहीं चलतीं
किसी का छीन के सरदारियाँ नहीं चलतीं
जो असलियत है, नज़र सबको आती है साहब
ये मुफ़लिसी की अदाकारियाँ नहीं चलतीं।
ये मुफ़लिसी की अदाकारियाँ नहीं चलतीं।
बहुत सुंदर,,, आप भी पधारें pankajkrsah.blogspot.in
ReplyDeleteबहुत सुंदर,,, आप भी पधारें pankajkrsah.blogspot.in
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