मेरा बेटा 
अभी बच्चा है
अक़्ल से कच्चा है 
चीज़ों का महत्व 
नहीं जानता 
और न ही 
बड़ी बातें करना जानता है 
उसकी खुशियाँ भी 
छोटी-छोटी हैं  
चॉकलेट, खिलौनों से ख़ुश 
पेट भर जाए तो ख़ुश 
पर लालची नहीं है वो 
उतना ही खाएगा 
जितनी भूख़ है 
कल के लिए नहीं सोचता 
आज की फिक्र करता है
चीज़ें ज़्यादा हो जायें 
दोस्तों में बाँट देगा
छोटा है न 
कुछ समझता नहीं 
लोग समझाते हैं 
बाद के लिए रख लो
पर नहीं समझता 
बुद्धू भी कहते हैं सब 
पर सुनता नहीं किसी की
छोटा है न 
कुछ समझता नहीं 
कहेगा कल फिर आ जाएगी 
ख़ुदा के बारे में 
ज़्यादा कुछ नहीं जानता 
पर अपने लिए उनसे 
चीज़ें ज़रुर माँगता है 
और विश्वास भी उसका पक्का है
ख़ुदा उसकी चीज़ों का   
प्रबंध कर देंगे 
छोटा है न 
विश्वास का पक्का है ।
बच्चे मन के सच्चे होते हैं .... सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया
Deleteबेहद खूबसूरत लफ्ज़ ..
ReplyDeleteशुक्रिया ।
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