किताबों में बहुत कुछ होता है, और भी बहुत कुछ हो सकता है।
किताबों को सम्मान दें, अच्छी बातें लिखें
प्यार और भाईचारा लिखें, किताबें नहीं चाहती
उनके अंदर नफरतें लिखीं जाएँ । ................... "नादिर अहमद ख़ान"
bahut shukriya for beautiful and unique comment. na maloom kuchh messages spam men kyon chale jate hai aaj he apka msg spam se recover kiya hai thats the reason for late repplying.
पहली बार आपके ब्लॉग पर आई
ReplyDeleteऔर पहली ही पोस्ट
एकदम मनभावन मिली..
बहुत बढ़िया..
बहुत सुन्दर रचना...
:-)
bahut shukriya apka
Deleteबिना ज़िक्र के लिख नहीं सकते और उसका ज़िक्र कर नहीं सकते .... बहुत खूब
ReplyDeletebahut shukriya for beautiful and unique comment.
Deletena maloom kuchh messages spam men kyon chale jate hai aaj he apka msg spam se recover kiya hai thats the reason for late repplying.