Thursday 13 September 2012

किताबें बोलती हैं



किताबें बोलती हैं

किताबें बोलती हैं
राज़ खोलती हैं
अच्छा-बुरा
सत्य-असत्य
सब-कुछ

किताबें आइना दिखलाती हैं
समाज को
तुम्हारा-हमारा
किताबें नहीं चाहतीं
बनना
झूठ का सहारा
किताबें
सच के साथ
चलना चाहती हैं

किताबें झूमती हैं
गीत सुनाती हैं
कभी हवा बन
उड़ जाती हैं
किताबें
बच्चों का खिलौना बन
हँसाती हैं
कभी लोरी बन
उन्हें सुलाती हैं

किताबें हँसती हैं
ख़ुशी के मौकों पर 
किताबें रोने लगती हैं
लोगों का दुख बनकर
किताबें ज्ञान देती हैं
सत्यअसत्य का
प्रेम का संदेश देती हैं
आँखों को ठंडक देती हैं
दिलों को जोड़ती हैं
मरहम बन जाती हैं

किताबें चाहती हैं
उन पर चर्चा हो
वाद-विवाद हो
प्रशंसाएँ और आलोचनाएँ हों
विचारों का आदान-प्रदान भी हो

किताबें नहीं चाहतीं
आपस में टकराव
किताबों को
जलना पसंद नहीं
और न ही वे
जलाने का कारण
बनना चाहती हैं
वे तो शांति की वजह
बनना चाहती हैं



किताबों में  संवेदनाएँ होती हैं
प्यार होता है
अच्छे और बुरे का बोध होता है
ज़िंदगी का शोध होता है
बुराई और अन्याय के ख़िलाफ़
प्रतिशोध होता है
किताबें बेची जाती हैं
कभी-कभी
किताबें बिकती भी हैं

किताबों में 
नियमकानून होते हैं
ज़िंदगी के अनुभव होते हैं
गिरते हम हैं
किताबें नहीं गिरतीं
किताबों का अपना
संसार है
उन्हें जुड़ना और जोड़ना
दोनों पसंद है
किताबें चाहती हैं
लोग उन्हें खोलें
पढ़ें
अनुभवों से लाभ उठाएँ
किताबें नहीं चाहतीं
मंहगी-सस्ती
अलमारियों में बंद रहना
उन्हें घुटन होती है
बेकार पड़े-पड़े
उन पर धूलों का जमना

किताबें
साफ़-सुथरी रहना चाहती हैं
क्योंकि
उनमें ख़्वाब होते हैं
बीमारी के उपचार होते हैं
आज़ादी के राज़
छुपे होते हैं

किताबों को पढ़िए
राज़ को आम कीजिये
दोस्ती को बढ़ाएं
दुश्मनी को ख़त्म करें
गलतियों से सबक लें
अच्छे को बढ़ावा दें

किताबों में
बहुत कुछ होता है
और बहुत कुछ
हो सकता है
किताबों को
सम्मान दें
अच्छी बातें लिखें
प्यार और भाईचारा लिखें
किताबें नहीं चाहतीं 
उनके अंदर
नफरतें लिखीं जाएँ ।


12 comments:

  1. अच्छी बातें लिखें
    प्यार और भाईचारा लिखें
    किताबें नहीं चाहतीं
    उनके अंदर
    नफरतें लिखीं जाएँ ।
    वाह ... बहुत खूब ।

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    1. बहुत शुक्रिया
      इसी लिए ब्लॉग का का नाम
      "किताबें बोलती हैं" रखा गया है ।
      उम्मीद है पहला संग्रह इसी नाम से होगा ।
      बाकी ईशवर की मर्जी .....

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  2. कल 15/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. पिछली टिप्पणी मे तारीख की गलत सूचना देने के लिये खेद है
    ----------------------------
    कल 16/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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    Replies
    1. बहुत शुक्रिया माथुर जी
      नई-पुरानी हलचल में लिंक होना सौभाग्य की बात है।
      नई-पुरानी हलचल पूरी टीम को तहे दिल से शुक्रिया ।

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    2. तहे दिल से शुक्रिया ।

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  4. बहुत ही सुन्दर विचार
    बहुत ही सुन्दर रचना...
    बेहतरीन और शानदार....
    :-)

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    1. बहुत शुक्रिया valuable कोमेंट्स के लिए

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  5. बहुत सुन्दर ........सच है किताबे बोलती भी है और हमारी साथी भी होती है

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    Replies
    1. बहुत शुक्रिया उपासना जी

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  6. किताबें वो भी बोल देतीं हैं...जो हम अक्सर बोल नहीं पाते...
    बहुत सुंदर रचना !
    ~सादर!

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  7. आप सब का बहुत शुक्रिया
    कोमेंट्स हमेशा प्रेरणा देते हैं।

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