तुमने ओढ़ी
आसुओं की चादर
समाज खुश
ज़ख़्मों को धोना
मलहम लगाना
चलते जाना
सबकी खुशी
आँसुओं पे न जाना
फर्ज़ निभाना
पिया घर जा
आँसुओं को न देख
बावरे नैन
खुश रहना
कभी याद न आना
साथ निभाना
सब खामोश
आँसू बहें हज़ार
सफर जारी
सुन्दर हाइकु
ReplyDelete:-)
बहुत शुक्रिया रीना जी
Deleteपहली कोशिश थी
सोचा की हाईकु पर भी हाथ आज़माते हैं ।
बहुत खूब...यूँ ही हाथ आजमाते रहिए |
ReplyDeleteसादर |
बस आप लोगों से प्रेरित हो जाते है।
Deleteइसी तरह मोहब्बत बनाये रखें ।
अच्छी लगी..
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया अमृता जी ।
ReplyDeleteसभी हाइकु संवेदनशील
ReplyDeleteबहुत आभार, हमने बड़ी हिम्मत करके लिखा था लिखना सार्थक हुआ |
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